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College ki yaadgar chudai – कॉलेज की यादगार चुदाई

College ki yaadgar chudai – कॉलेज की यादगार चुदाई

हैल्लो दोस्तों, में आशीष आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ और यह मेरे कॉलेज की एक घटना है. दोस्तों में उस समय जबलपुर में रहता था और वहीं के पास में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में पड़ता था, में उस समय कॉलेज के पहले साल में था और उस समय कॉलेज में बहुत ज्यादा रेकिंग हुआ करती थी. दोस्तों में एक इंग्लीश मीडियम स्कूल का लड़का था, इसलिए में अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा था और मेरी क्लास में मेरी बराबरी के सिर्फ़ 5-6 स्टूडेंट ही थे, में एक बहुत अच्छे परिवार से हूँ.

दोस्तों उस समय लोगों के पास साईकल थी, लेकिन मेरे पास एक मोटर साईकल, इसका मतलब में अपनी पूरी क्लास का हीरो ही था और में स्पोर्ट में बहुत अच्छा था और उसके साथ साथ में अपनी पढ़ाई भी एकदम ठीक ठाक कर लेता था और हमेशा फर्स्ट क्लास पास हो जाता था. उस समय हम तीन बहुत अच्छे दोस्त थे. रवि जो मणिपुर का रहने वाला था और हेमन्त वो जबलपुर के पास के एक छोटे से गावं का था और रवि बहुत सीधा साधा था और हेमन्त थोड़ा चालू किस्म का था, बस हम तीन मेरी गाड़ी पर बैठकर घूमा करते थे.

दोस्तों उस समय हमारे साथ एक लड़की भी थी और जिसका नाम सोनम था, वो दिखने में बहुत सुंदर थी और उसका फिगर भी बहुत अच्छा था और हेमन्त हमेशा उसके पीछे उसको पटाने के लिए पड़ा रहता था, लेकिन वो फिर भी उससे पट नहीं रही थी, क्योंकि वो बहुत चालाक थी, लेकिन वो मुझसे बहुत हंस हंसकर बातें किया करती थी.

दोस्तों सोनम की एक सहेली थी, जिसका नाम सरिता था और वो दोनों हमेशा साथ में ही आती जाती थी, इसलिए अब हेमन्त ने सबसे पहले उससे दोस्ती की (सरिता) और जब सरिता और सोनम होते तो हेमन्त को बात करने में बहुत आसानी होती और इस तरह से कुछ दिन हुए थे, लेकिन पता नहीं कैसे एक दिन हेमन्त ने सरिता से पूछ लिया कि क्या उसको कोई लड़का पसंद है? में उस समय वहां पर मौजूद नहीं था और फिर सरिता ने कहा कि वो मुझे बहुत पसंद करती है, लेकिन में कभी भी उसकी तरफ ध्यान ही नहीं देता हूँ और हमेशा मस्ती करने में लगा रहता हूँ. दोस्तों अब हेमन्त तो शुरू से था ही बहुत बदमाश लड़का.

फिर उसने उससे कह दिया कि में तेरी सेटिंग जिसको तू पसंद करती है तो उससे करवा दूंगा, लेकिन उसको भी सोनम को पटाने में उसका पूरा पूरा साथ देना पड़ेगा और अब वो क्या करती और सरिता तुरंत तैयार हो गयी? और जब में अपने कॉलेज के पहले साल में आया ही था और उस समय में इन सभी कामों में ज़्यादा समझदार नहीं था और वैसे मुझे लड़कीयों को परेशान करना बहुत अच्छी तरह से आता था, लेकिन उसके बाद और कुछ भी हो सकता है. मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया.

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फिर उसके बाद एक दिन हेमन्त और रवि मेरे पास आए और मुझे समझाने लगे कि अगर कोई लड़की तुझे पसंद करती है और वो तेरी हर एक बात मानने को तैयार है तो तुझे इसमें क्या परेशानी है? वो हर रोज मस्त खाना बनाकर अपने घर से लाती है और तुझे नाश्ता कराने के लिए केंटिन में ले जाती है, वो दिखने में भी अच्छी है और उसकी लम्बाई, शरीर भी मस्त है तो तू बस खा पी ऐश कर और उसमें हेमन्त का फायदा भी है.

फिर मैंने भी अब बिना कुछ सोचे समझे उसकी पूरी बात सुनकर तुरंत हाँ कर दिया और अब में, सरिता बहुत बातें करने लगे थे, मतलब वो मेरी हर बात मानती थी और जब भी मुझे भूख लगे तो नाश्ता मुझसे पूछकर लाती कि में क्या लाऊँ? वो अपने कपड़े भी मुझसे पूछकर पहनकर आती कि में कौन से पहनकर आऊँ? और अब यह सब मेरे सीनियर लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि में जूनियर होकर एक लड़की को लेकर घुमाता रहता हूँ बस फिर क्या था, ऐसे ही दिन गुजरते गए और अब दशहरे की छुट्टी लगने वाली थी और बस छुट्टियों के एक दिन पहले में और सरिता कॉलेज की लाइब्रेरी में खड़े होकर बहुत हंस हंसकर बातें कर रहे थे और फिर मुझे वहां पर मेरे कुछ सीनियर बुलाने आ गए.

फिर मैंने सरिता से कहा कि में अभी कुछ देर में आता हूँ और मेरे 10-12 सीनियर मुझे लेकर पास ही के गार्डन में ले गए और जहाँ पर उन्होंने बारी बारी से मेरी बहुत अच्छी तरह से ठुकाई की और अब इन सब लफड़े में सरिता मेरा इंतजार लाइब्रेरी में करती रही और उस टाईम मेरे पास कोई मोबाईल तो था नहीं कि मेरी किसी से बात हो और उन्हें यह सब पता चले, फोन था, लेकिन वो भी घर पर.

फिर में कुछ देर बाद अपने घर पर पहुंच गया और जब मैंने उसे यह बात बताई तो उसे काफ़ी दुख हुआ कि उसके कारण मेरे साथ यह सब हो गया है और इस वजह से वो अब कुछ ज़्यादा ही मेरी परवाह करने लगी थी, उनका प्यार मेरे ऊपर अब कुछ ज्यादा ही बड़ गया था और फिर जैसे तैसे मेरी छुट्टियाँ ख़त्म हुई तो तब तक में थोड़ा बहुत ठीक भी हो चुका था.

दोस्तों में उस समय अपनी पूरी क्लास का हीरो था, इसलिए मुझसे सबको कोई ना कोई काम होता था और यह बात सरिता को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी कि कोई भी लड़की मुझसे हंस हंसकर बातें करे या में उसकी तरफ देखूं, लेकिन वो यह बात मुझसे आगे होकर तो बोल नहीं सकती थी, लेकिन मुझे उसके चेहरे की बनावट को देखकर पता चल जाती थी. फिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि तुम दिखने में इतने स्मार्ट हो कि तुम से तो कोई भी लड़की एक बार में जरुर पट जाएगी, लेकिन तुम फिर भी किसी को प्रपोज़ क्यों नहीं करते हो? दोस्तों में क्या बोलता, क्योंकि मैंने तो कभी इस बारे में कुछ सोचा ही नहीं था, लेकिन वो मुझसे बार बार पूछने लगी कि तुमको क्लास में कोई ना कोई तो जरुर पसंद होगी?

फिर भी में कुछ नहीं बोला और इस बात पर हमारी शर्त लग गई कि में किसी को भी पटा सकता हूँ यह बात सरिता बोलती थी और में यह बात बोलता था कि मुझसे कोई भी लड़की नहीं पटेगी और इस बात को लेकर हम दोनों में एक शर्त लगी कि मुझसे कोई ना फंसने पर वो मेरी कहीं हर एक बात मानेगी. दोस्तों में तो उस समय बहुत लल्लू किस्म का था और मैंने खुद ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया और उस वजह कोई भी लड़की मुझसे नहीं पटी बस हंसी मजाक जरुर चलता रहा और मैंने कुछ दिनों बाद उसकी इसी बात पर दबाव दिया कि वो मुझसे लगाई हुई अपनी शर्त हार गई है और उसे अब मेरी शर्त पूरी करनी पड़ेगी.

अब वो साफ मना करने लगी तो मैंने भी उससे बोल दिया कि अगर वो शर्त पूरा नहीं करेगी तो में उससे बात नहीं करूँगा और अब वो क्या करती? में यह बात तो बहुत अच्छी तरह से जानता था कि वो मुझसे बहुत प्यार करती है, लेकिन अपने मुहं से मुझसे नहीं कहती है तो इसलिए वो तुरंत मान गई है, लेकिन में अब क्या करूं? मुझे कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा था? दोस्तों हम लोग अक्सर बाहर घूमने जाया करते थे, उस दिन भी में और सरिता अकेले ही बाहर घूमने चले गये थे तो हम लोग पास ही के एक बहुत सुंदर घाट नागपुर रोड पर पहुंच गये और मुझे वहां पर एक बहुत अच्छी जगह मालूम थी, वहां पर कुछ टूटे हुए मकान थे और जहाँ पर जंगल जैसी कुछ झाड़ी भी थी और अब हम दोनों वहां पर पहुंचकर अकेले बैठे हुए थे.

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दोस्तों में उसे अक्सर कॉलेज में भी किस किया करता था तो इसलिए उसे मेरे किस करने में कोई भी परेशानी भी नहीं थी और अब में वहीं पर उसे किस करने लगा तो वो मुझे मना नहीं करती थी, लेकिन वहां कोई भी नहीं था तो हमे कोई डर भी नहीं था और अब हमारा किस कुछ ज़्यादा अच्छे से होने लगा था. दोस्तों अब में आप सभी को क्या बताऊँ मुझे आज पहली बार तो ऐसा मौका मिला था और इसलिए मुझसे अब कंट्रोल तो हो नहीं रहा था, एक तो वो ठंड का मौसम और हम दोनों अकेले तो मैंने उसे बहुत देर तक किस किया और उसके बूब्स भी बहुत देर तक दबाए और अब में इतना गरम हो गया था कि में शब्दों में क्या बताऊँ?

अब मेरा लंड तो मेरी जीन्स को फाड़कर बाहर आ रहा था और में उससे बिल्कुल चिपक कर खड़ा हुआ था और वो भी चुपचाप मेरा साथ दे रही थी. मैंने आधे घंटे तक तो उसे सिर्फ़ किस ही किया होगा और फिर मैंने उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़ रखा था और वो पास की एक दीवार से सटकर खड़ी हुई थी और में उससे बिल्कुल चिपककर खड़ा हुआ था, मेरा पूरा लंड अब तनकर खड़ा हुआ था और उसकी चूत पर चिपका हुआ था. अब में सही मौका देखकर अपना एक हाथ उसकी सलवार के अंदर डालने लगा तो वो मुझे मना करने लगी, लेकिन में नहीं माना और अब में उसके साथ ज़बरदस्ती करने लगा. फिर मेरी इस हरकत से वो अब मुझसे गुस्सा होने लगी थी, जिसकी वजह से में डर गया और बिल्कुल शांत हो गया और फिर शांत खड़ा हो गया. फिर मैंने उससे बोला कि मुझे सिर्फ़ एक बार देखना है कि वो चूत कैसी दिखती है? तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर उसको बहुत गुस्सा आ गया और वो बोली कि क्या तुम कभी ब्लूफिल्म नहीं देखते हो? फिर मैंने उससे बोला कि हाँ में ब्लूफिल्म देखता तो हूँ, लेकिन मैंने सच में कभी किसी लड़की की चूत नहीं देखी है.

फिर वो थोड़ी शांत सी हुई और मैंने उसको पता नहीं क्या क्या बोलकर समझाकर शांत किया था? फिर वो थोड़ी सी पहले जैसी हुई. फिर में उसे किस करने लगा और फिर मैंने अचानक से मौका देखकर उसकी सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया और जिससे उसकी सलवार पूरी खुल गई. दोस्तों अब वो क्या करती एक तो वो उस दीवार से सटी हुई थी और में उससे पूरी तरह चिपककर खड़ा हुआ था? तो वो कुछ नहीं बोली और मैंने अपना एक हाथ उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा और अब वो थोड़ी हिलने डुलने की कोशिश करने लगी, लेकिन में उसे बहुत अच्छी तरह से कसकर पकड़कर खड़ा हुआ था तो वो ज्याद कुछ नहीं कर सकी और फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत में डाल दिया, जिसकी वजह से वो बहुत घबरा गयी और मुझे धक्का देने लगी और इस वजह से उसकी सलवार सरककर नीचे गिर गई. मैंने देखा कि वो अंदर काली कलर की पेंटी पहनी हुई थी.

फिर में एक बार फिर से उससे चिपक गया और अब मेरा लंड उसकी पेंटी से टकराने लगा. दोस्तों यह सब इतना जल्दी जल्दी हो रहा था कि मुझे कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला और अब मैंने उसके साथ ज़बरदस्ती करके उसकी पेंटी को नीचे सरका दिया और फिर उसे नीचे लेटा दिया और में अब उसके ऊपर आ गया. दोस्तों सरिता की लम्बाई बहुत अच्छी थी और जिसकी वजह से उसकी चूत और मेरे लंड में कुछ ज़्यादा फासला नहीं था और बस मेरा लंड सीधा उसकी चूत पर चिपका हुआ था, लेकिन सरिता अब बहुत डर रही थी और अब में उस पर गिर पड़ा और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया तो वो ज़ोर से चिल्लाने लगी और उस दर्द से सिहर उठी और छटपटाने लगी.

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फिर मैंने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिए और अब में उसे लगातार किस करने लगा, इस कारण वो ज्यादा चिल्ला भी नहीं पाई और फिर मैंने उसे थोड़ा शांत देखकर एक और थोड़े ज़ोर से धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराईयों में फिसलता हुआ चला गया और बस फिर क्या था? कुछ ना जानते, समझते हुए भी मेरी कमर अपने आप लगातार हिलने लगी.

दोस्तों में अपने लंड को चूत में एक ज़ोर के धक्के से पूरा अंदर डाल देता और फिर धीरे धीरे बाहर निकालता और जिसकी वजह से सरिता पूरी तरह से हिल जाती और उसके मुहं से सिसकियाँ निकलने लगती. अब सरिता भी मेरी इस चुदाई से बहुत खुश थी और वो अब बिल्कुल शांत हो गई थी और बस में अपने लंड को लगातार अंदर बाहर करता गया.

दोस्तों कुछ देर बाद मेरे लंड पर अचानक क्या हुआ कि मुझे कुछ करंट सा महसूस हुआ और अब में बस पूरी तरह से शांत होकर उसके ऊपर ही लेट गया और मेरे लंड ने धीरे धीरे झटके देकर अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम कि मैंने उस समय यह सब कैसे किया? लेकिन वो मेरी पहली चुदाई यादगार हो गई और आज इतने साल बाद भी मुझे सब याद है जैसे कि अभी कुछ दिन पुरानी बात हो और अब तो उसकी शादी भी हो गई है और सब कुछ ख़त्म हो गया, लेकिन हाँ आज भी वो पुराने दिन याद आते है तो यह मेरी पहली चुदाई की घटना जरुर याद आ ही जाती है, क्योंकि यह मेरी सेक्स लाईफ की शुरुआत थी. दोस्तों हम सबकी लाईफ में कभी ना कभी कुछ ऐसा घट ही जाता है, जो हम उसी हसीन पल की याद को वहीं पर बाँधकर रख देता है और वही मेरे साथ हुआ, जिसको में अभी तक अपने दिल में छुपाकर बैठा था, लेकिन आज वो घटना आप सभी के सामने है.

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