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मेरी जवानी जोरमजोर और पति का लण्ड किसी काम का नहीं तब मैंने

मैं आपको अपने बारे बता दू, ऐसे मैं कानपूर की रहने बाली हु, दिल्ली में रहती हु, मेरे पति एक कंपनी में छोटी मोटी जॉब करते है, मेरी उम्र अभी चौबीस साल की है, बड़ी ही खूबसूरत हु, शरीर की बनावट काफी अच्छी है, चौतीस साइज की ब्रा पहनती हु, पांच फुट ६ इंच की हु, वजन मेरा ६० किलो है, गोरी हु, मैं अपने कॉलेज टाइम में कॉलेज सुंदरी रह चुकी हु, मैं काफी मॉडर्न हु, नए ख़यालात की औरत हु, मुझे डिस्को में जाना, बाहर घूमना काफी पसंद था, पर अब…. क्या बताऊ आप खुद ही समझ लो.

मेरा तन बदन में आग लगी रहती थी, जब भी किसी लड़के को देखती मैं उसी के बारे में सोचते रहती और मेरी चूत गीली हो जाती, कभी अकेले में रहती तो गुनगुनाती “जवानी हुआ जोरम जोर, मेरा पिया पड़ गया कमजोर, पापा हो सब तिलक (दहेज़) पड़ गया पानी में आग लगा जवानी में” अच्छा लगा आपको भी? रात को तकिये के सहारे सोती, पति तो बगल में सोता था पर मैं अब उससे छूने नहीं देती थी, आग तो लग जाती थी पर होता कुछ भी नहीं था उससे.

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दोनों दिन मेरी चूचियाँ टाइट होने लगी, चूत तो आज तक कली ही थी, ऊँगली डालता था वो सिर्फ. अब बर्दास्त के बाहर था सबकुछ तो मैंने एक प्लान बनाया मैंने अपने पड़ोस की एक औरत को अपनी दोस्त बनाई, उसकी शादी के दो ही साल हुए थे, उसका पति काफी आकर्षक था, बहुत ही खूबसूरत था, मैं कई बार उसके बारे में सोच के अपनी चूत गीली कर चुकी थी. मेरा पति साउथ इंडिया गया था अपने कंपनी के काम के सिलसिले में, तभी कानपूर से फ़ोन आया एक पडोसी का कि आपके माँ का तबियत बहुत खराब है आप जल्द आ जाओ, मैं ही नज़दीक में थी एक मेरा भाई वो दुबई में रहता है, माँ अकेले ही कानपूर में रहती थी, तो मैंने पति को फ़ोन किया वो बोले चली जाओ, अब मैं अपनी सहेली के घर गई और वह जाके रोने लगी, क्या करूँ मुझे जल्द पहुचना है, तो सहेली के पति मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गए.

सुबह सुबह ही हमदोनो कानपूर के लिए निकल पड़े, शाम को करीब ५ बजे पहुंचे, माँ को देखा वो हॉस्पिटल में थी, डॉक्टर बोला खतरे से बाहर है अब, तब जाके मेरे जान में जान आया, रात को हमदोनो खाना खाए और सामने ही होटल लीला प्लेस था वही पे कमरा बुक किये, मुझे लगा इससे बढ़िया मौका और नहीं हो सकता है, पर मुझे पटाना था अपने सहेली के हस्बैंड को, तो मैंने कहा आज मैं बहुत तक गयी हु, क्या आज एक एक बियर हो जाये तो वो बोले क्यों नहीं आप चाहो तो व्हिस्की ले आते है, मैं बोली ठीक है, मैं इसके पहले भी कई बार शराब पि चुकी थी. रात को दस बज रहे थे, वो व्हिस्की और चिकन तंदूरी लेके आये, उस समय मैं नह के पिंक कलर कि नाईट सूट पहन राखी थी अंदर मैं ब्रा नहीं पहनी थी और होठ गुलाबी लिपस्टिक से रंग ली थी. बड़ी ही हॉट लग रही थी जब मैं आईने में अपने आप को देखि. हुआ भी ऐसा जैसे ही वो अंदर आया बोला ओह माय गॉड, क्या लग रही हो भाभी जी, मैं मुस्कुरा दी, वो देखते देखते बैठ गया,

अब रमेश (सहेली का हस्बैंड) मेरी तरफ घूर घूर कर देख रहा था, खाशकर के मेरी चूचियाँ पर उसकी निगाह थी, क्यों कि मेरा निप्पल तक नाईटी के ऊपर से दिख रहा था, मैं बहुत खुश थी और थोड़ी रिझाने कि अदा भी कर रही थी, खाते और पीते एक घंटा हो गया था, अब दोनों नशे माँ आ गए थे, तभी रमेश बोला भाभी आप आज गजब लग रहे हो, तो मैंने कहा तो क्या इरादा है, बोला हम दोनों अकेले है, मैं आपको बहुत पसंद करता हु, क्या आज रात को….. तो मैं बोली किसने मना किया…. आवाज लड़खड़ा रहे थे और जवानी भी, वो धीरे धीरे मेरे पास आ गया मैंने उसके शर्ट के बुटून को खोली और उसके छाती पे किश करने लगी.

वो मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और चूचियाँ दबाने लगा और गाल में किश होठ पे किश, फिर वो मेरी नाईटी को उतार दिया, वो मेरी चूची को मुह में लेके चूसने लगा, आज मुझे लगा कि मेरे बदन को किसी मर्द का हाथ लगा मैं सिहर गयी, रोम रोम काँप गए, मैंने चुदने के लिए तैयार थी पर तुरंत नहीं करना चाह रही थी, मैंने पहले अपना बूर चटवाया, गांड चटवाया, कांख के बाल, चूत के बाल, जांघ, पुरे शरीर को उसने मुझे चाटा रोम रोम मेरे खड़े हो गए, चूत गीली हो गयी, निप्पल पिंक पिंक और टाइट हो गए, मैं अपनी वासना कि आग में तड़पने लगी, उसने मेरे पैर को ऊपर उठा दिया, चूत पे लण्ड को रखा और एक ही धक्के में पूरा लण्ड अंदर कर दिया.

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मैंने बैचेन हो गयी आज तक चुदी नहीं थी आज मेरे बूर में लण्ड गया था, गांड उठा उठा के चुदवाने लगी, वो भी पुरे स्पीड में चोद रहा था, मैं तो बस आह आह आह अहा अहा अहा उफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ मेरे मुह से आवाज निकल रही थी, फिर करीब 30 मिनट तक चोदने के बाद मैं झड़ गयी, फिर पंद्रह मिनट बाद उसने भी अपना सार वीर्य मेरे बूर में डाल दिया, उसके बाद तो रात भर कभी चूत कभी गांड यही चलता रहा, बीच बीच में एक एक पेग व्हिस्की कि भी ले रही थी और चुदवा रही थी, दुसरे दिन भी वही रही और चुद्वाते रही मैं आज पूरी तरह से संतुस्ट हो गयी थी, मेरी पहली चुदाई मुझे जन्नत का सैर करवा दिया था, अब तो जब भी मेरे पति बाहर जाते है मैं रमेश से चुदवा लेती हु, पर आज कल लगता है मेरी सहेली को शक हो गया है, मैं आजकल किसी और से चुदवाने के लिए डोरे डाल रही हु,

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