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हवस की शिकार Hot Story

हवस की शिकार Hot Story

“वक्त ही बताएगा।” चुटकी लेते हुए रज्जो ने कहा, “कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह अभी पता चल जाएगा।”
फिर रज्जो स्टापू खेलने लगी। वह पहले तीसरे-पाले पर आऊट हुई थी, उसने बड़े ध्यान से तीसरे-पाले पर स्टापू फेंका, स्टापू तीसरे पाले पर ही गिरा…
“वाह मजा, आ गया!” रज्जो तालियाँ पीटते हुए बोली, “अब देखना ‘पाला’ जीत कर ही रहूंगी।”
रज्जो एक टांग उठाकर, लगड़ी-टांग से एक-एक करके पाले पार करने लगी, तो उस खेल को गली के नुक्कड़ पर खड़ा एक व्यक्ति बड़े ध्यान से देख रहा था, जिसका नाम था- चमन।
चमन बड़े ध्यान से उन किशोर लड़कियों का खेल देख रहा था। उस वक्त रज्जो ने एक फटी पुरानी फ्राॅक पहनी हुई थी। उसकी फ्राॅक पर रंग-बिरंगी चेप्पियाँ यानि पैबन्द लगे हुए थे, वह पैबन्द वाली फ्राॅक उसकी माली-हालत को बयान कर रही थी।
गली में ईक्का-दुक्का लोग ही आ-जा रहे थे, इसलिए लोगों की निगाहों से बेपरवाह दोनों सहेलियाँ अपनी ही धुन में स्टापू का खेल, खेल रही थीं और एक कोने में खड़ा इस खेल को एक शख्स भी बड़े गौर से देख रहा था।
वह शख्स रज्जो को जानता नहीं था, पर 14 साल की रज्जो के ‘टर्न’ तथा ‘कर्व’ यानि घुमाव तथा कटावों को देखकर उसके दिल के कुत्सित अरमान अठखेलियां खाने लगे।
“लो कर लो बात।” चमन मन ही मन अपने आपसे बोला, ”बगल में छोरी, नगर में ढिंढोरा, बन गया अपना काम।”
चमन ने करीब दस मिनट तक रज्जो का खेल देखा। दरअसल वह रज्जो का खेल नहीं, बल्कि उसके उछलते अंगों का खेल देख रहा था, कि कहाँ कितनी गहराई है और कहाँ कितनी मात्रा में मांसपिन्डो से मांस जुड़ा है।
वह लगातार फ्राॅक के ऊपर उछलते मांसल कबूतरों का तकाजा ले रहा था, तो दूसरी तरफ जब उसकी फ्राॅक लंगड़ी-टांग खेलते वक्त थोड़ी-सी ऊपर उठती थी, तो वह बेखबर खेलती लड़की के आगे-पीछे के अंगों का नजारा भी वह भली-भाँति कर लेता था।
यों एक फिल्म डायरेक्टर की तरह चमन ने रज्जो के बदन का अच्छी तरह से अपनी, एक्स-रे नुमा आंखों से फोर्ट-फोलियो बनाया और उसे किसी नूर की हूर की तरह समझने लगा।
उसी वक्त चमन अपने घर गया और मात्रा दस मिनट में वह अपने घर से वीडियो रिकाॅ£डंग वाला मोबाईल फोन तथा डिजिटल कैमरा ले आया, जिसमें दो-दो मेमोरी कार्ड लगे थे।
उस वक्त भी रज्जो स्टापू खेल रही थी, जब चमन उस स्थान पर लौटा था, तो वह रज्जो से मुखातिब होते हुए बोला, “देखो बेटे! मैं तुम्हें क्या दिखाने के लिए लाया हूं।”
कहकर चमन ने पहले क्वाटर्री पेड वाला, नेट वाला फोन दोनों लड़कियों को दिखाया तो, दोनों हम उम्र की सहेलियां, वैसा फोन देखकर बेहद प्रभावित हो गईं, उन्होंने वैसा फोन अपनी जिन्दगी में पहले कभी नहीं देखा था, बल्कि उनके घर में कोई फोन ही नहीं था।
चमन उन दोनों लड़कियों से बोला, ”यह जो तुम खेल खेल रही हो न, यह खेल तो बाबा आदम के जमाने का है। यह देखो इस मोबाईल फोन में कितने खेल हैं।”
चमन ने उस फोन में लोडेड कई खेल जब उन दोनों गरीब तथा मासूम लड़कियों को दिखाए, तो दोनों लड़कियां उस खिलौने रूपी फोन को पाने के लिए ललायित होने लगी।
“और भी कुछ देखना है अंकल।” रज्जो उत्सुकतावश बोली।
रज्जो ने जैसे ही कहा तो उसी वक्त चमन ने उसे थोड़ी दूर ले जाकर कहा, “अरे! यह तो कुछ भी नहीं, यह देखो स्टिल-वीडियो कैमरा, जिसमें दो-दो मेमोरी कार्ड लगे हैं, इसमें तुम यह देखो कि तुम्हारी जैसी लड़कियां इंग्लैण्ड में पहुंच कर कितना पैसा कमा रही हैं, माॅडल बन गई हैं।“ चमन ने रज्जो को शीशे में उतारना चालू कर दिया, “मैं तो महीने में एक दफा यहाँ आता हूं और फिर इंग्लैण्ड चला जाता हूं, वहां मेरे कई सिंगरों से तथा फिल्म डायरेक्टरों से गहरे संबंध हैं। तुम जैसी लड़कियों की वहां बहुत डिमांड है। बोलो तुम भी कोई सिंगर या माॅडल बनना चाहोगी? इंग्लैण्ड की यात्रा करना चाहोगी? मैं तुम्हें अपने पैसों पर इंग्लैण्ड की यात्रा करवा सकता हूं। मजा आ जायेगा तुम्हें।”
रज्जो नादान थी, एक छोटी-सी बच्ची थी। वह उन मिथ्या-तथ्यों को देखकर भ्रमित हो गई और बोली, ”अंकल आप मुझे इंग्लैंड ले जाएंगे?”
उसने पूछा तो चमन ने स्पष्ट कह दिया, ”इसके लिए तुम्हें अपने कुछ फोटो देने पड़ेंगे और अपनी आवाज की भी टेस्टिंग करवानी पड़ेगी। हो सकता है तुम्हारी आवाज उन लोगों को पसंद आ जाये।”
“ठीक है अंकल, मैं अपने फोटो तथा आवाज की भी टेस्टिंग करवाने के लिए तैयार हूं।”
“तो चलो, तुम मुझे अपने मम्मी-पापा से मिलवा दो, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।“
”चलो, अभी मैं अपने मम्मी-पापा से आपको मिलवा देती हूं।” इसके बाद रज्जो ने अपनी सहेली को भी ये सब बातें बता दी और उसे भी अपने साथ कर लिया।
फिर रज्जो अपने घर पहुंची, उस वक्त रज्जो की मम्मी घर में अकेली थी। रज्जो नाले के पास बने एक झोपड़े में रहती थी। रज्जो की मम्मी से चमन ने बहुत ही शालीन तरीके से बात की और उसे भी अपने जाल में फंसा लिया।
अपनी मीठी-मीठी बातों में फंसाने के बाद चमन ने रज्जो की मम्मी को दस हजार रुपये दिये और उससे अपनी बेटी को इंग्लैण्ड भेजने की रजामन्दी भी प्राप्त कर ली।
उसी दिन रज्जो की मम्मी ने अपने पति को भी सारी बातें बता दी, रज्जो के पिता ने भी यही सोचा कि बेटी का भाग्य बड़ा तेज है। हो सकता है कि बेटी के भाग्य की वजह से उनकी गरीबी खत्म हो जाये, अतः पिता ने भी अपनी बेटी को विदेश जाने की अनुमति दे दी।

इसके बाद चमन ने बकायदा रज्जो का फोटोशेशन उनके माता-पिता के सामने करवाया, उसकी आवाज की रिकाॅर्डिंग स्टूडियो में करवाई, उसके बाद रज्जो का पासपोर्ट भी बनवा दिया।
इन सब कामों के लिए पैसे चमन ने ही खर्च किये थे। इसके बाद रज्जो की सहेली के साथ भी यही खेल खेला गया। फिर रज्जो की हम उम्र की दूसरी सहेली सुशीला को भी चमन ने इसी अंदाज में अपने जाल में फंसाया और उन तीनों नाबालिग लड़कियों की, जिनकी उम्र मात्रा 14 से लेकर 16 साल के बीच थी, उन तीनों लड़कियों का पिता बनकर फर्जी पासपोर्ट बनवा कर उन्हें उनके घर से विदा करके ले गया।
इन तीनों लड़कियों के परिजन तो यही समझ रहे थे कि उनकी बेटियाँ इंग्लैण्ड में पहुंच गई होंगी और उनका भाग्य चमकते देर नहीं लगेगी, पर चमन उन तीनों लड़कियों को एयरपोर्ट ले जाने की बजाए, पहले एक ऐसे गुप्त ठिकाने पर ले गया, जहां कुछ धूर्त तांत्रिक तथा महिला तांत्रिक पहले से तंत्रा अनुष्ठान करने के लिए तैयार बैठे थे।
“देखो तुम बड़े ध्यान से सुन लो।” चमन ने उन तांत्रिकों के हवाले उन नादान बच्चियों को करते हुए कहा, “तुम तीनों लड़कियों को यहां कुछ तंत्रा-मंत्रा करवाना पड़ेगा, तभी तुम विदेश की यात्रा करने के लायक बनोगी, क्योंकि विदेशी जमीन पर जाते ही विदेशी तांत्रिक तुम्हें अपने वश में कर सकते हैं और तुम्हारा जीवन नारकीए बना सकते हैं, इसलिए यहां जो तंत्रा-मंत्रा ये तांत्रिक लोग करेंगे, उसे अच्छी तरह से समझ लेना और सारी उम्र उसी पर अमल करना।”
इसके बाद चमन ने वहां मौजूद चारों तांत्रिकों को अलग-अलग सफेद रंग के लिफाफे दिये, जिसमें नोट भरे हुए थे। उन चारों तांत्रिकों ने लिफाफे में बंद नोटों को बाहर निकाल कर गिना, फिर चमन को मूक ईशारा कर दिया कि आगे का काम वे तांत्रिक लोग बड़ी आसानी से सम्भाल लेंगे। तांत्रिकों का ईशारा पाने के बाद चमन चुपचाप वहां से चला गया।
इसके बाद उन चारों तांत्रिकों ने खूंखार तंत्रा प्रक्रिया को अंजाम देते हुए तीन-चार घंटे तक उन तीनों लड़कियों पर अजीबो-गरीब तंत्रा-मंत्रा का प्रयोग किया। उस भयानक तांत्रिक प्रक्रिया से वे भोली-भाली मासूम लड़कियाँ बहुत डर गईं थी।
तीनों लड़कियों की छाती पर ब्लेड मारकर उनका खून निकाला गया और फिर उस खून को विचित्रा तांत्रिक अनुष्ठान में चढ़ा दिया।
फिर उन धूर्त व ढोंगी तांत्रिकों बडे़ ही शातिराना अंदाज में तीनों लड़कियों से शपथ दिलवाई कि वे हमेशा चमन का कहना मानेंगी।
उसके बाद वे तांत्रिक एक साथ बारी-बारी उन तीनों लड़कियों को निर्देश देने लगे, “तुमने विदेश जाने के बाद, किसी विदेशी से कोई बात नहीं करनी और न ही कभी किसी को यह बताना है कि तुम्हारे साथ क्या-क्या हुआ है…? यदि तुम्हारे साथ चमन कुछ गलत काम भी कर दे, तो उसका बुरा मत मानना, वह तुम्हारा भाग्य संवारने के लिए इतने पैसे खर्च करके तुम्हें विदेश ले जा रहा है। चमन का हमेशा कहना मानना, वर्ना तंत्रा-मंत्रा का प्रेत हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा, वह तुम्हारा खून पी जाएगा। तुम पलभर के लिए भी जीवित नहीं रहोगी।”
इन निर्देशों के साथ ही उन तांत्रिकों का खौफ उन तीनों लड़कियों के दिलो-दिमाग में बैठ गया और उसके बाद उन तांत्रिकों ने चमन को फोन से मैसेज दे दिया। उसके बाद चमन ने उन लड़कियों को अपने साथ लिया और एयरपोर्ट पर पहुंच गया। वहां से वे इंग्लैंड पहुंच गये।
वहां पहुंचने के बाद फिर तीनों लड़कियों को इंग्लैंड के एयरपोर्ट पर चमन ने सैर करवाई, उसके बाद वह उन लड़कियों को अपने ठिकाने पर ले गया।
एक-दो दिनों तक उसने उन तीनों लड़कियों को इंग्लैण्ड की सैर करवाई, उन्हें खूब अच्छा खाना-पीना खिलाया, अच्छे कपड़े पहनाये, फिर एक रात सबसे पहले चमन ने रज्जो को अपने रूम में बुलाया। वह खुशी-खुशी आ गई।
अपने रूम में बुलाने के बाद चमन ने अपने हिसाब से उससे ‘खेल’ खेलना आरम्भ किया।
”तुम्हें याद है।” चमन ने रज्जो को याद दिलाया, “तुम उस दिन अपनी गली में स्टापू खेल रही थी।”
“हां याद है।” रज्जो ने वह बात याद करते हुए खुशी से कहा, “स्टापू खेलना मुझे बड़ा अच्छा लगता है।“
”और मुझे भी स्टापू खेलना तथा स्टापू को पकड़वाना बड़ा अच्छा लगता है।” चमन उस वक्त आलीशान पलंग पर लेटा हुआ था, “क्या तुम मेरे साथ स्टापू नहीं खेलोगी?”
यह सुनकर खीं..खीं. हीं.. हीं.. करके रज्जो हंसने लगी और बोली, “आप मेरे साथ स्टापू खेलेंगे?” उसकी हंसी रूकी नहीं थी, “अब आपकी उम्र स्टापू खेलने की नहीं रही।”
रज्जो की हंसी थमी, तो चमन कामुक निगाहों से रज्जो के जिस्म को देखते हुए बोला, “तुम मेरे ‘स्टापू’ से खेलोगी तो तुम्हारा ‘पाला’ मैं बड़ी आसानी से जीत लूंगा।”
भेदपूर्ण लहजे में चमन ने द्विअर्थी बात कही तो रज्जो ने अपनी भौहें सिकोड़ी, “मैं कुछ समझी नहीं, आपके पास ‘स्टापू’ कहां है? और यहां तो ‘पाला’ ही नहीं बना हुआ है, आज स्टापू कहां खेलेंगे?”
“पाला भी बना हुआ है और स्टापू भी यहीं पर है।” कहकर चमन पलंग से उठ खड़ा हुआ।
उसने उस वक्त शराब पी रखी थी। उसने उस वक्त केवल नाईट गाऊन पहन रखा था, “पहले ‘स्टापू’ को पकड़ो फिर ‘पाला-पाला’ खेलेंगे।” चमन ने अपने गाऊन के अंदर रज्जो का एक साथ घुसेड़ कर उसे ‘स्टापू’ पकड़ा दिया।
“ओह माई गाॅड!” रज्जो ने अपना हाथ खींचना चाहा तो चमन ने उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया और अपने बेईमान स्टापू पर स्पर्श करवाने लगा, तो उसका ‘स्टापू’ बलशाली होने लगा।
“अंकल आप यह क्या कर रहे हैं? छोड़ो न मेरा हाथ।”
कहकर रज्जो कसमसाने लगी तो अंकल ने रज्जो के ढीली-ढाली नाईटी के ऊपर से उसकी ‘प्रेम-गली’ को स्पर्श किया और बोला, “यह है वह ‘पाला’। यहीं पर मेरा ‘स्टापू’ खेल खेलेगा।”
“नहीं-नहीं अंकल, आप ऐसी घिनौनी हरकत नहीं कर सकते। मैं तो आपकी बेटी के समान हूं, छोड़िये न अंकल।“
”बेटी समान और सच में बेटी होने में बहुत अंतर होता है मेरी अनछुई कली।” जीभ होंठ फिराता हुआ बोला चमन, ”अब स्टापू को अपने पाले में आने दे, फिर देखना तुझे भी और मुझे भी बड़ा मजा आयेगा इस खेल में।”
”नहीं नहीं…मैं ऐसे इस स्टापू के खेल को नहीं खेल सकती।” वह पलकें झुकाती हुई बोली, ”मैं समझ रही हूं कि आप कौन-सा स्टापू पकड़वाओगे और कौने से पाले में डालोगे?”
”जब सब समझ ही गई है, तो क्यों बेकार में नखरे दिखा रही है जानेमन।” वस्त्रा के ऊपर से ही रज्जो के कोमल अर्धविकसित कबूतरों को सहलाते हुए बोला चमन, ”प्यार से खेलेगी, तो दोनों को मजा आयेगा। अब नखरे करके या जबरदस्ती खेलेगी तो तेरा तो पता नहीं, पर मुझे तो मजा जरूर आयेगा। हां, तुझे तकलीफ बहुत होगी।”
”मेरा पाला अभी आपके स्टापू के साथ खेलने के लायक नहीं है।” बेचारी रज्जो भी चमन की ही भाषा में बात करने पर मजबूर हो गई, ”अगर मैंने आपके साथ स्टापू-स्टापू खेला, तो मेरा पाला बुरी तरह बिगड़ जायेगा। गेम भी अधूरा ही रह जायेगा। फिर आपको क्या मजा आयेगा मेरे साथ खेलने में? दया करके मुझे छोड़ दीजिए।”
“तुझ पर मैंने हजारों रुपये खर्च कर दिये हैं और तू कहती है कि मैं तुझे छोड़ दूं, बस, चुपकर। अब चुपचाप पलंग पर लेट जा, वर्ना उन खूंखार तांत्रिकों की बातें याद हैं या नहीं, तेरा खून पी जायेंगे वे तांत्रिक के प्रेत, यदि तूने मेरा कहना नहीं माना तो।”
चमन की बातें सुनकर यकायक रज्जो को उन तांत्रिकों की चेतावनी याद आ गई। उस चेतावनी को याद करके वह थर-थर कांपने लगी, उसे उस वक्त एहसास हुआ कि अब वह बुरी तरह से फंस चुकी है। उसके परिजन भी उसके पास नहीं थे, न ही उसके पास कोई मोबाईल फोन था और न ही उसके पास उसके पासपोर्ट या वीजा के कागज़ थे।
“अंकल प्लीज!” रज्जो मिन्नतें करने लगी, “आप तो हमारे गाँव के, हमारी बिरादरी के हैं, यदि आप ही हमारी रक्षा करने की बजाये हमारी इज्जत से खिलवाड़ करेंगे, तो हमारा यहां कौन सहारा बनेगा? प्लीज़ आप तो कम से कम ऐसा काम मत कीजिए।”
”बस, हो गया तुम्हारा भाषण खत्म! अब जरा भी चूं-चप्पड़ की तो मैं तांत्रिकों को फोन करके अभी बता दूंगा कि तुम मेरा कहना नहीं मान रही हो, फिर देखना, तुम्हारा क्या हश्र होता है।”
उन तांत्रिकों की चेतावनी पुनः रज्जो को याद आ गई और वह बेबस हो गई, फिर क्या था?
चमन ने उस बंद कमरे में, अपने ही देश की एक मासूम नाबालिग लड़की को हवस का खिलौना मानकर उससे बड़ी बदर्दी से खिलवाड़ करने लगा।
रज्जो सिसकियाँ भरती हुई अपने मम्मी-पापा को याद करने लगी, पर उस दरिन्दे पर उन आंसुओं का तथा सिसकियों का कोई असर नहीं हुआ और उस दरिन्दे ने उस मासूम बच्ची के नाईट गाऊन को उसके शरीर से जुदा कर दिया। फिर उस रोती, आंसु बहाती मासूम नाबालिग लड़की को अपने बेड पर लेटा दिया।
रज्जो एक लाश की तरह निर्जीव बदन होकर पलंग पर लेटी अपनी किस्मत को कोस रही थी कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसके कोमल तथा अछूते जिस्म में किसी हरामी प्रवृति के दरिन्दे ने जलती हुई कठोर शालाखा पेवेस्त कर दी है।
“उई मम्मी! मर गई।” रज्जो जबड़े भींचती हुई बोली, ”मर जाऊंगी मैं अंकल।” वह चमन को अपने ऊपर से परे धकलने का असफल प्रयास करती हुई बोली, ”ब…बहुत दर्द हो रहा है… आपका स्टापू, मेरे पाले में आ गया है। अब खेल यहीं बंद कर दो। मैं इसके आगे नहीं खेल पाऊंगी।”
”खेल का आनंद तो अब आयेगा और तू कह रही है कि खेल बंद कर दूं।” बेदर्दी से रज्जो के कोमल उभारों को मसलते हुए बोला चमन, ”चुपचाप लेटी रह और मुझे मेरे पैसे वसूल करने दे। मेरा खेल पूरा हो जायेगा, तो उसके बाद सोचूंगा तुझे छोड़ने की। फिलहाल मुझे खेलने दे और शोर-शराबा न कर।”
फिर जैसे ही चमन पुनः रज्जो के ऊपर झुका और अपना कार्यक्रम आगे बढ़ाया, रज्जो बुरी तरह चीखने लगी। चमन ने उसके मुंह में पास ही पड़ा बड़ा सा कपड़ा ठूंस दिया और प्रोग्राम चालू रखा। बेचारी रज्जो पैर पटकती रह गई। रोती-बिलखती रह गई।

पर उस दरिन्दे पर कोई असर नहीं हुआ। वह दरिन्दा अपनी ही मस्ती में कहे जा रहा था, “वाह मजा आ गया, कुंवारी चीज कुंवारी ही होती है। साला लड़की जब तक ऊई मां.. करके चीखे नहीं, इस खेल में मजा ही नहीं आता।” पूरी ताकत से प्रोग्राम आगे चलाता हुआ बोला, ”बोल मेरी तितली मजा आ रहा है या नहीं?“
”छोड़ दो न मुझे प्लीज़।” बेचारी मासूम रज्जो तड़पते हुए बोली, ”मुझे कोई मजा नहीं आ रहा। दिख नहीं रही मेरी हालत तुम्हें। हटो मेरे ऊपर से। बहुत तकलीफ हो रही है मुझे।”
मगर वह दरिन्दा बुरी तरह से अपनी हवस मिटाने लगा, पर रज्जो का उस दौरान रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। वह मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि इस नरक से उसे छुटकारा दिलवाये। रज्जो बेजान बनी रही और चमन उसके आटे-समान बेजान बदन को रौंदता रहा।
जब चमन का मन शान्त हुआ तो वह रज्जो के बदन से उतर गया, “यह लो 20 पौन्ड, कल जाकर इंग्लैण्ड की सैर कर लेना और इसके बाद तुम्हें बहुत बड़ा काम मिल जायेगा। यहां यही दस्तूर है, बदन को नुचवाओ और पैसे पाओ और हां, इस विषय में किसी से कभी भी कोई बात न करना वर्ना तांत्रिकों के प्रेत तेरा खून पी जायेंगे।”
रज्जो ने वे पाऊण्ड पलंग पर ही रख दिये, “मुझे ऐसे पैसों की दरकार नहीं है, मुझ पर एक कृपा करो, मुझे वापिस अपने मम्मी-पापा के पास ले जाकर छोड़ दो, मुझे नहीं बनना एक्टर माॅडल या सिंगर।”
रोते हुए रज्जो ने कहा तो वह दरिन्दा बोला, “कल ही तुम्हारी मंशा पूरी हो जाएगी। पर तुम इस विषय में अपनी दूसरी सहेलियों को कुछ भी नहीं बताओगी, यदि बताया तो समझो कि तुम्हारा अन्तिम संस्कार यहीं पर कर दिया जाएगा।”
इसके बाद चमन ने रज्जो को अपने कमरे में ही बन्द रखा, ताकि वह अपनी सहेलियों से किसी तरह भी कोई सम्पर्क न कर सके। उस कमरे में अकेली रज्जो सारी रात उस दरिन्दे के साथ रही और रोती रही, अपनी किस्मत को कोसती रही। पर उस दरिन्दे ने सारी रात घायल रज्जो के साथ बलात्कार किया और उसके मन की भावनाओं को तार-तार कर दिया।
सारी रात रज्जो अपने माता-पिता को याद करती रही और उस दरिन्दे को कोसती रही। पर वह दरिन्दा थका नहीं था, सारी रात वह चमन नामक दरिन्दा रज्जो के साथ अपने एयरकन्डीशन्ड रूम में बलात्कार करता रहा।
रज्जो की उस बन्द कमरे से आवाज तक बाहर नहीं निकली, उस रात रज्जो को एहसास हुआ कि वह किस दरिन्दे पर भरोसा कर बैठी। उस बन्द कमरे में चमन एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करता रहा और उसकी ब्लू-फिल्म भी बनाता रहा था।
फिर सुबह-सुबह ही रज्जो का उस दरिन्दे ने 70 हजार यूरौ में सौदा कर दिया, यानि रज्जो को इंग्लैण्ड के दलालों को बेचकर मोटी रकम उस दरिन्दे ने बना ली थी। जितना पैसा उसने रज्जो पर खर्च किया था, उसका पांच गुना पैसा उसने रज्जो को बेचकर कमा लिया था।
इसके बाद दूसरे दिन वही खेल चमन ने दूसरी लड़की के साथ खेला। जब रज्जो को उसने बेचा था, तब अन्य दो लड़कियों को चमन ने यही जवाब दिया था कि रज्जो को बहुत बड़ा काॅन्ट्रेक्ट मिल गया है, वह काम पर चली गई है, इसके बाद ही चमन ने दूसरी लड़की के साथ बलात्कार का खेल खेला था।
यों, इसी तरह तीनों लड़कियों के साथ बलात्कार का कई दफा खेल खेलने के बाद चमन ने उन तीनों नाबालिग खूबसूरत लड़कियों को इंग्लैण्ड के दलालों को बेच दिया था।
चमन के लिए वे तीनों नाबालिग मासूम लड़कियाँ बस एक ‘क्रय वस्तु’ के समान थी, जिन्हें उसने बड़ी निर्ममता से बेच भी दिया था। इसी तरह चमन अनाथ तथा गरीब लड़कियों को इंग्लैण्ड ले जाने के सपने दिखाता और उन्हें उनके देश से हवाई जहाज में बैठाकर इंग्लैण्ड लाकर बेच देता था।
इंग्लैण्ड में अफ्रीकन व एशियन मूल की खूबसूरत लड़कियों की खूब डिमांड थी, जिसे चमन पूरी कर रहा था।
कोई अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, पर वह एक दिन पुलिस के हत्थे चढ़ ही जाता है। जिन लड़कियों के साथ चमन ने बलात्कार किया था और बाद में उन्हें बेच दिया था, उनकी बद्दुआओं का ही असर था कि चमन नामक दरिन्दा एक रोज पुलिस के हत्थे पकड़ा गया और उसे सख्त से सख्त सजा सुनाई गई।
कहानी लेखक की कल्पना मात्रा पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्रा होगा।

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